इन समितियों का गठन न होने की वजह से विकास कार्य ठप हो गए। वहीं, कूड़े के पहाड़ों के निस्तारण और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने के जो कार्य दो साल पहले हो जाने चाहिए थे वह अब जाकर सुप्रीम कोर्ट व एलजी वीके सक्सेना की मंजूरी से हुए हैं। जिसकी वजह से आप के पार्षद टूटकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।

15 से ज्यादा पार्षद छोड़ चुके हैं AAP

निगम में दो वर्षों से मेयर चुनाव से पहले आप के पार्षद भाजपा में जाते रहे हैं। 15 से ज्यादा पार्षद भाजपा में पहुंच गए हैं हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के कुछ पार्षद आप में चले गए थे और कांग्रेस में एक पार्षद आप से चला गया था। सूत्रों के मुताबिक ऐसे में आप को यह आशंका थी इस बार भी अगर, मैदान में उतरे तो और पार्षद मेयर प्रत्याशी न बनाए जाने से नाराज होकर पार्टी छोड़ सकते हैं। इसलिए आप ने प्रत्याशी न उतारना ही सही समझा।

आप की सत्ता में आने के बाद स्थिति यह भी हो गई है कि 30 से अधिक सदन की बैठकें हुई जो कि हंगामे के चलते चल ही नहीं पाई। न तो निगम की समस्याओं पर चर्चा हो पाई और न ही पार्षदों को फंड न मिलने के मुद्दे उठ पाए। आप से शैली ओबराय दो बार करीब 22 माह तक माहपौर रही, लेकिन वह भी निगम सदन की बैठक सुचारू नहीं चला पाई।
महेश कुमार भी अपने कार्यकाल में एक भी बैठक भी सुचारु नहीं चला पाए। इतना ही नहीं सदन में चुनाव और राजनीतिक खींचतान इस स्तर पर जाकर पहुंची कि सदन में लात घूसे और पानी की बोतलों से एक दूसरे पर वार किया।
2022 के दिसंबर के चुनाव में यह थी आप -भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों की स्थिति

  • आप:134
  • भाजपा: 104
  • कांग्रेस: 9
  • निर्दलीय: 3

2025 में यह भाजपा कांग्रेस और आप पार्षदों की स्थिति

  • आप: 113
  • भाजपा: 117
  • कांग्रेस : 8