
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज (एनडीपीएस) एक्ट के तहत दोषसिद्धि के एक मामले में नरम रुख अपनाते हुए दोषी गुरजंत सिंह की छह माह की कठोर कारावास की सजा को घटाकर अब तक की सजा अवधि तक सीमित कर दिया है।
गुरजंत सिंह को गुरदासपुर में एनडीपीएस एक्ट की धारा 22(बी) के तहत दोषी ठहराया गया था और निचली अदालत द्वारा उसे छह महीने की कठोर कैद तथा 5,000 के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। आरोप था कि उसके पास से 115 नशीली गोलियां बरामद हुई थीं, जो उसने जानबूझकर कब्जेमें रखी थी।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस एनएस शेखावत की पीठ ने अपील पर सुनवाई करते हुए कहा, अपीलकर्ता एक युवा व्यक्ति है, जिसकी उम्र लगभग 27 वर्ष है और वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है। इसके अलावा वह इससे पहले किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है।
रिकॉर्ड से यह भी स्पष्ट है कि वह एफआईआर से पूर्व विदेश में रहकर आजीविका कमा रहा था। इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत का मानना है कि दोषी की सजा को पहले से भुगती गई अवधि तक सीमित किया जाना न्यायोचित होगा।
कोर्ट ने जुर्माने की राशि बढ़ाकर किया 1 लाख 5 हजार
हालांकि, कोर्ट ने जुर्माने की राशि को 5,000 से बढ़ाकर 1,05,000 कर दिया। साथ ही यह भी आदेश दिया कि इस कुल राशि में से 1,00,000 की रकम दोषी द्वारा जमा करवाई जाए। यह फैसला उस अपील पर आया जिसमें दोषी गुरजंत सिंह ने 2020 में 115 नशीली गोलियों के साथ पकड़े जाने पर मिली सजा को चुनौती नहीं दी, बल्कि केवल सजा में नरमी की गुहार लगाई थी।
सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता के वकील ने स्पष्ट किया कि वह दोषसिद्धि को चुनौती नहीं देना चाहते, परंतु न्यायालय से आग्रह किया कि सजा देने में कुछ नरमी बरती जाए। इसके बावजूद, अदालत ने मामले के तथ्यों और साक्ष्यों को पुनः परखा और पाया कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत गवाहों की गहन जिरह के बावजूद उनकी गवाही को खंडित नहीं किया जा सका।
कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रिहा करने का दिया आदेश
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस अधिकारियों द्वारा तलाशी और जब्ती की कार्रवाई के दौरान एनडीपीएस एक्ट की सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। जस्टिस शेखावत ने यह भी कहा कि गुरजंत सिंह पिछले चार वर्षों से मुकदमे का सामना कर रहा है और अब तक कुल सजा में से दो महीने की अवधि जेल में बिता चुका है। अदालत ने अपील खारिज करते हुए आदेश दिया कि गुरजंत सिंह को तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाए।