याची ने जोर देकर कहा कि किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए आवश्यक है कि वह कार्य जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण मंशा से किया गया हो। इस मामले में ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था, इसलिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त किया जाना चाहिए।
यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 में हाई कोर्ट ने पहले ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध कोई दमनात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।