
गुरुग्राम। ट्रैफिक जाम के साथ ही बदहाली के प्रतीक बने दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे की तस्वीर जल्द बदलेगी। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने 245 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया है। अगले सप्ताह से टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी।पूरे एक्सप्रेसवे की न केवल दोबारा से कारपेंटिंग की जाएगी बल्कि नवीनीकरण के ऊपर जोर दिया जाएगा। सर्विस लेन को बेहतर किया जाएगा। नरसिंहपुर में जहां पर जलभराव की समस्या मानसून के दौरान बार-बार सामने आती है, वहां पर कुछ भाग आरएमसी (रेडी-मिक्स कंक्रीट) का बनाया जाएगा।
दिल्ली में राव तुलाराम मार्ग के नजदीक से लेकर गुरुग्राम में खेड़कीदौला टोल प्लाजा तक के भाग को दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे कहा जाता है। इसकी लंबाई 28 किलाेमीटर है। 10 किलोमीटर हिस्सा दिल्ली में जबकि 18 किलोमीटर हिस्सा गुरुग्राम इलाके में पड़ता है।
निर्माण पूरा होने के बाद 2008 में इसके ऊपर ट्रैफिक का दबाव डाला गया था। प्रतिदिन औसतन तीन लाख से अधिक वाहन इस एक्सप्रेसवे से गुजरते हैं। वाहनों के दबाव के हिसाब से जिस तरह मरम्मत के ऊपर ध्यान देना चाहिए, नहीं दिया गया। नतीजा यह है कि देश के सबसे खस्ताहाल एक्सप्रेसवे के रूप में इसकी पहचान हो चुकी है।
न मुख्य मार्ग दुरुस्त है, न फ्लाईओवर दुरुस्त हैं, न रेलिंग दुरुस्त है और न ही सर्विस रोड। अवैध कटों की भरमार है। इस वजह से अक्सर हादसे हाेते रहते हैं। अवैध कटों की वजह से एक्सप्रेसवे के ऊपर कहीं से भी वाहन चढ़ जाते हैं। इससे जहां ट्रैफिक का दबाव बढ़ता है वहीं हादसे भी होते हैं।इसके ऊपर दैनिक जागरण लगातार खबरें प्रकाशित कर रहा है। अब जाकर सफलता मिलती हुई दिखाई दे रही है। एनएचएआइ ने एक्सप्रेसवे के कायाकल्प की योजना बना ली है। बजट का इंतजाम इस दिशा में सबसे ठोस कदम है। एनएचएआइ के अधिकारियों का कहना है कि अगले सप्ताह से टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 245 करोड़ रुपये से एक्सप्रेसवे नया दिखाई देगा।
धातु बीम क्रैश बैरियर की जगह कंक्रीट का बैरियर लगाया जाएगा। सभी स्ट्रीट लाइटें बदली जाएंगी। हीरो होंडा चौक से खेड़कीदौला टोल प्लाजा के बीच ओवरले की योजना है। हीरो होंडा चौक फ्लाईओवर की मरम्मत पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जहां कहीं आवश्यकता होगी, वहां सड़क की चौड़ाई भी बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। फ्लाईआेवर के जयपुर-दिल्ली भाग में कई बार गड्ढे बन चुके हैं। वर्तमान में भी गड्ढे की वजह से एक लेन कई महीनों से बंद है।
दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक का दबाव काफी अधिक है। ऐसे में दो साल नहीं बल्कि कम से कम समय में कायाकल्प करने की योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है। काम किए जाने के दौरान समस्या और बढ़ेगी। ऐसे में दिन-रात काम करना होगा। जिस कंपनी को ठेका दिया जाएगा, उससे एग्रीमेंट होना चाहिए कि 24 घंटे काम करना है। उसके हिसाब से वह मैन पावर की व्यवस्था करेगा।
गजेंद्र त्यागी, निदेशक, क्लासिक सिविल इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड
द्वारका एक्सप्रेसवे एवं दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की तरह दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे को विकसित करने की आवश्यकता है। दोनोें तरफ रेलिंग ऐसी होनी चाहिए कि वाहनों का शोर कम हो। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे दिल्ली-गुरुग्राम के बीच लाइफ लाइन है। इसे दो साल तक डिस्टर्ब रखना सही नहीं होगा। छह से सात महीने के भीतर इसका काम पूरा करने पर जोर दिया जाए। मैन पावर एवं मशीनरी के उपयोग से संभव हो सकता है।
दिनेश नागपाल, निदेशक, अर्बन लैंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड