
पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करने के आरोप में अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अली खान महमूदाबाद को पुलिस ने रविवार को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित उनके निवास से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें सोनीपत कोर्ट में पेश कर पांच दिन का रिमांड मांगा, लेकिन कोर्ट ने दो दिन का रिमांड ही स्वीकार किया।
पुलिस के मुताबिक, अली के खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआरदर्ज की गई हैं। एक जठेड़ी गांव के सरपंच एवं भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य योगेश जठेड़ी ने राई थाने में ने दर्ज कराई है, जबकि दूसरी राज्य महिला आयोग ने नोटिस की अवमानना के तहत दर्ज कराई।
इस बीच, अशोका विश्वविद्यालय ने कहा कि वह मामले के विवरण का पता लगाने की कोशिश कर रहा है और जांच में पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग जारी रखेगा।
15 मई को जांच के लिए यूनिवर्सिटी पहुंचीं थी रेनू भाटिया
योगेश ने शिकायत में बताया था कि आठ मई को अशोका यूनिवर्सिटी में अली खान ने मेरी मौजूदगी में ऑपरेशन सिंदूर पर कई टिप्पणियां कीं। उन्होंने महिला सैन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कई बातें कहीं।
वहीं, राज्य महिला आयोग ने अली की सोशल मीडिया पर टिप्पणियों का संज्ञान लेते हुए उन्हें 14 मई को आयोग के समक्ष पेश होने का समन भेजा था। जब वह पेश नहीं हुए, तो आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने 15 मई को यूनिवर्सिटी जाकर जांच की, लेकिन अली खान नहीं मिले। इसके बाद रेनू भाटिया ने 16 मई को डीजीपी को पत्र लिखकर एफआईआरदर्ज करने की मांग की
रेनू भाटिया का आरोप-मुस्लिम लीग को फंडिंग करते थे डॉ. अली खान के दादा
हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने कहा कि डॉ. अली खान को बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने डा. अली की टिप्पणी को महिला सैन्य अधिकारियों के प्रति अपमानजनक व सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने वाला और शर्मनाक माना है। उन्होंने आरोप लगाया कि डा. अली के दादा पाकिस्तान की मुस्लिम लीग को फंडिंग करते थे, जिससे स्पष्ट होता है कि उन्हें यह संस्कार अपने दादा से मिले हैं।
यह है आरोप
- हरियाणा राज्य महिला आयोग ने 12 मई को अपने नोटिस के साथ डॉ. अली खान की टिप्पणियों को संलग्न किया था।
- उनमें से एक में उन्होंने कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा करने वाले दक्षिणपंथी लोगों को उन्मादी भीड़ की हिंसा और संपत्तियों पर “मनमाने ढंग से” बुलडोजर चलाने के पीड़ितों के लिए सुरक्षा की मांग भी करनी चाहिए।
- उन्होंने कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की मीडिया ब्रीफिंग को “दिखावटी” बताया और कहा, “लेकिन दिखावटीपन को जमीनी हकीकत में बदलना चाहिए, अन्यथा यह सिर्फ पाखंड है।”
डॉ. अली खान की सफाई
खान ने कहा था कि आयोग ने उनकी टिप्पणी को “गलत तरीके से पढ़ा” है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “…मुझे आश्चर्य है कि महिला आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करते हुए मेरी पोस्ट को इस हद तक गलत तरीके से पढ़ा और समझा कि उन्होंने उसका अर्थ ही बदल दिया।”
डॉ. अली ने कहा, उन्होंने “शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने और भारतीय सशस्त्र बलों की दृढ़ कार्रवाई की सराहना करने के लिए विचार और भाषण की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग किया है।
इन धाराओं में केस दर्ज
- धारा 152 : देश को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों से संबंधित, जो संज्ञेय और गैर-जमानती हैं। इसमें सात साल से लेकर आजीवन कारावास के साथ ही जुर्माने का प्रविधान है। धारा 196(1): विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना।
- धारा 197(1): देश की संप्रभुता को खतरे में डालने वाली झूठी जानकारी प्रकाशित करना।
- धारा 299: किसी धर्म को अपमानित करना।