
भाखड़ा के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे विवाद के मामले पर आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इस दौरान पंजाब सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया जाएगा।
जबकि केंद्र सरकार, हरियाणा और बीबीएमबी पहले ही जवाब दाखिल कर चुके हैं। नए कोटे के तहत हरियाणा और राजस्थान को पानी छोड़ा गया है। पंजाब को 17 हजार क्यूसेक, हरियाणा को 10300 और राजस्थान को 12400 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
वहीं, पानी बंटवारे को लेकर 31 मई को बैठक भी रखी गई है। उधर, केंद्र सरकार ने भाखड़ा डैम की सुरक्षा को लेकर अहम फैसला लिया है। अब वहां सीआईएसएफ की तैनाती को मंजूरी दे दी गई है।
पहले भाखड़ा डैम की सुरक्षा के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस तैनात थी, जबकि नंगल डैम की सुरक्षा का जिम्मा पंजाब पुलिस को सौंपा गया था
इस वजह से केंद्रीय सुरक्षा का फैसला
हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने को पंजाब व हरियाणा में माहौल तनातनी वाला बन गया था। हरियाणा की तरफ से दबाव था कि भाखड़ा नंगल डैम की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय सुरक्षा बलों को सौंपा जाएगा। कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी सरकार से यहां पर तैनाती की मांग की थी। वहीं, हरियाणा व बीबीएमबी ने सुरक्षा पर सवाल उठाए थे।
पहले प्लान के अनुसार भाखड़ा डैम की सुरक्षा के लिए 435 कर्मचारियों की मांग की गई थी, लेकिन अब 296 मुलाजिमों की भर्ती को मंजूरी दी गई। केंद्र सरकार की तरफ से इस बारे में बीबीएमबी के डायरेक्टर सुरक्षा व सलाहकार को पत्र भेजा गया है।
केंद्रीय बलों का सारा खर्च बीबीएमबी द्वारा उठाया जाएगा। साल 2025-26 का अनुमानित खर्च 8.58 करोड़ रुपए आएगा। प्रति मुलाजिम 2.90 लाख खर्च आएगा। केंद्रीय बलों के रहन-सहन, आवाजाही व अन्य चीजों का प्रबंध भी पंजाब द्वारा किया जाएगा।
हिमाचल व पंजाब संभालते थे जिम्मा
भाखड़ा डैम प्रोजेक्ट के अलग-अलग प्वाइंटों की सुरक्षा के लिए पंजाब व हिमाचल प्रदेश पुलिस की तैनाती है। पूरे प्रोजेक्ट की सुरक्षा के लिए 288 पद मंजूर हैं, लेकिन तैनाती 347 पदों की है। नंगल डैम के छह प्वाइंटों पर पंजाब पुलिस के 146 जवान तैनात हैं। इसी तरह हिमाचल प्रदेश के 201 जवान तैनात हैं। सुंदर नगर व पौंग डैम की सुरक्षा पहले ही सीआईएसएफ के हवाले है।
बीबीएमबी चेयरमैन ने दिया हलफनामा
बीबीएमबी चेयरमैन ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। दरअसल, पंजाब और हरियाणा में कई दिनों से जल विवाद चल रहा था। इसी बीच, 8 मई को बीबीएमबी चेयरमैन पानी छोड़ने के लिए भाखड़ा पहुंच गए थे। वहां पर लोगों और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने पानी छोड़ने से रोक दिया और उन्हें बंधक बना लिया। इसके बाद सीएम भगवंत मान खुद भाखड़ा पहुंच गए थे।
उन्होंने कहा था कि जब तक दो मई को केंद्रीय गृह सचिव की अगुआई में हुई मीटिंग के आदेश उन्हें नहीं दिए जाते, तब तक वे पानी नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान बीबीएमबी ने इस मामले में एक याचिका दायर की थी।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने हलफनामे में बताया कि पंजाब पुलिस ने उन्हें और उनके अधिकारियों को डैम संचालन में बाधित किया। कोर्ट ने पंजाब सरकार से उन पुलिसकर्मियों की पहचान करने को कहा है जिन्होंने कार्य में अड़चन डाली। इसके बाद पंजाब सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की थी।
सरकार ने दिया था यह तर्क
सरकार ने कोर्ट में यह तर्क दिया था कि राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 8 मई, 2025 को लाइव अदालती कार्यवाही के दौरान बीबीएमबी चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने माना कि वे सिर्फ स्थानीय नागरिकों से घिरे हुए थे और पंजाब पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने में सहायता की थी।
हालांकि, 9 मई, 2025 को दिए गए एक हलफनामे में त्रिपाठी ने विपरीत आरोप लगाया कि उन्हें गैर-कानूनी हिरासत में रखा गया था, जो कि उनके पिछले अदालती बयान के बिल्कुल विपरीत है। जिसके परिणामस्वरूप, पंजाब सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा-379 का इस्तेमाल किया।
इसमें हाइकोर्ट से बीएनएसएस की धारा-215 के तहत अपराध की जांच शुरू करने का अनुरोध किया गया, जो जानबूझकर झूठा हलफनामा जमा करने से संबंधित है। इसके अलावा, राज्य ने 6 मई, 2025 के उच्च न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए त्रिपाठी और संजीव कुमार, निदेशक (जल विनियमन) दोनों के विरुद्ध अदालत की अवमानना संबंधी कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।