
भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार एटीपी सुखदेव वशिष्ठ को पुलिस ने रविवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मामले की जांच कई परतें खुली, जिसके बाद विजिलेंस ने विधायक रमन अरोड़ा को गिरफ्तार किया। सामने बैठे कर हुए पूछताछ में विजिलेंस को पता चला कि कार्रवाई करने और कार्रवाई को रोकने के लिए विधायक ने कोड वर्ड रखे थे।
फर्जी नोटिस भेजने के बाद पार्टी एटीपी के पास आती थी तो यह कहता था कि सरकारी मामला है सेंट्रल हल्के के विधायक रमन ही हल करवा सकते है, जिसके बाद विधायक पार्टी के साथ सीटिंग करता था। सीटिंग के बाद वह पार्टी को घर जा दफ्तर में बुला कर एटीपी को कॉल करके खुद के पास मिलने के लिए बुलाता था।
‘अपने आदमी है ध्यान रखाना’ यह कह विधायक एटीपी को कार्रवाई न करने की हरी झंडी देता था, जिसके बाद एटीपी पार्टी को दिए नोटिस को खुर्द-बुर्द कर देता था। अगर दफ्तर में आई पार्टी जिनकी विधायक मदद नहीं करना चाहता था उसके लिए वह पार्टी के सामने एटीपी को कॉल करके दूसरे कोड का इस्तेमाल करता था कि ‘देख लेना क्या परेशानी है, इन्हें भेज रहा रहा हूं’, यह कोड का इस्तेमाल करता था।
विजिलेंस की टीम ने विधायक को पांच दिन के रिमांड पर लिया है। रिमांड दौरान विजिलेंस टीम ने एटीपी और विधायक को आमने-सामने बैठा कर पूछताछ भी की, लेकिन दोनों में तू-तू, मैं-मैं हो गई, जिसके बाद दोनों को अलग कर दिया गया था।
हालांकि, विजिलेंस ने विधायक रमन अरोड़ा के रिश्तेदारों की लिस्ट बनाई है और वह उनके नाम पर कितनी पार्टी है यह पता लगाने की कोशिश करेंगी। पहले दिन रिमांड के दौरान विधायक की सेहत खराब होने के कारण ज्यादा पूछताछ नहीं हो सकी और इलाज के बाद दोबारा विजिलेंस विधायक के इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने में जुटी है, जिसमें विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ राजनीतिक हस्तियों की भूमिका की भी जांच की जा सके।