
इंटरनेशनल डेस्क। इजरायल ने शुक्रवार को ईरान पर एक बड़ा हमला किया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बताया कि यह हमला ईरान के नतांज स्थित परमाणु केंद्र और कुछ अन्य ठिकानों पर किया गया। उन्होंने इसे “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” नाम दिया है और कहा कि यह इजरायल की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम है। नेतन्याहू ने साफ कहा कि यह अभियान तब तक चलेगा जब तक ईरान से खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता।
नेतन्याहू ने अपने संदेश में कहा कि ईरान के नेता कई सालों से इजरायल को मिटा देने की धमकी देते आ रहे हैं। ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की दिशा में खतरनाक कदम उठाए हैं। हाल के वर्षों में ईरान ने इतना संवर्धित (enriched) यूरेनियम बना लिया है जिससे 9 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं। अब वह उस स्तर पर पहुंच चुका है जहां कुछ ही महीनों में परमाणु बम बना सकता है। इसी को देखते हुए इजरायल ने इसे अपने देश के अस्तित्व पर खतरा माना है और पहले ही पूरे देश में विशेष आपातकाल लागू कर दिया है।
अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया रही?
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि इजरायल ने इस हमले से पहले अमेरिका को जानकारी दी थी। अमेरिका खुद इस ऑपरेशन में शामिल नहीं है, लेकिन उसने इसे इजरायल की आत्मरक्षा का अधिकार बताया। अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता मध्य पूर्व में तैनात अपने सैनिकों की सुरक्षा है। उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान को अमेरिकी सैनिकों पर हमला नहीं करना चाहिए। यह पहली बार है जब अमेरिका ने इजरायली हमले से खुद को अलग बताया है, हालांकि रणनीतिक समर्थन जारी रखने की बात भी कही।
इजरायल ने उसके दो परमाणु स्थलों को निशाना बनाया है। कुछ हमलों को विफल कर दिया गया है। अब ईरान जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। संयुक्त राष्ट्र से आपात बैठक बुलाने की मांग की गई है। ईरानी सरकारी टीवी ने भी बताया कि यह एक खतरनाक सैन्य हमला है और देश अब इसका कड़ा जवाब देगा।