
चंदौसी/संभल। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संभल जनपद के मझावली स्थित शशि मदन पब्लिक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के प्रभारी मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने सूर्य नमस्कार को लेकर उठ रहे विरोधों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जो लोग सूर्य नमस्कार का विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि अगर सूरज ही नहीं निकलेगा तो इबादत कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक संपूर्ण व्यायाम प्रणाली है, जिसमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन की परिकल्पना समाहित है। मंत्री ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि सूर्य नमस्कार के हर आसन और प्रक्रिया में प्राकृतिक ऊर्जा के प्रति आभार और शरीर को जागृत करने की शक्ति निहित है। उन्होंने बताया कि जिस तरह पांच वक्त की नमाज़ में शरीर की हर नस और पेशी को व्यवस्थित ढंग से गतिशील किया जाता है, ठीक उसी तरह सूर्य नमस्कार में भी शारीरिक क्रियाओं का पूर्ण तालमेल देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत में योग एक ऐसा अद्भुत उपहार है, जिसे दुनिया ने स्वीकारा है, लेकिन दुर्भाग्यवश देश में ही कुछ वर्ग ऐसे हैं जो इसे धर्म से जोड़कर नकारात्मक भाव फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सूर्य हमारे जीवन का मूल आधार है, जिससे पृथ्वी पर प्रकृति का संचालन होता है और समस्त जीवों का पालन-पोषण संभव होता है। अगर सूर्य न हो, तो जीवन, स्वास्थ्य, ऊर्जा, कृषि, जलचक्र जैसी व्यवस्थाएं ठप पड़ जाएंगी। ऐसे में सूर्य नमस्कार का विरोध केवल अज्ञानता, पूर्वाग्रह और संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पूरी दुनिया को योग का महत्व समझाया है और आज विश्व के 180 से अधिक देशों में योग दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योग भारतीय संस्कृति की आत्मा है, और इससे शरीर और मन को शुद्ध किया जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिकारियों और आम जनमानस की उपस्थिति रही, जिन्होंने एकजुट होकर योग और सूर्य नमस्कार किया। प्रभारी मंत्री ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि वे प्रतिदिन सूर्य नमस्कार और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, तो न केवल बीमारियों से बचाव होगा, बल्कि एक अनुशासित, सकारात्मक और ऊर्जावान जीवन की ओर अग्रसर हो सकेंगे। अंत में उन्होंने अपील की कि योग और सूर्य नमस्कार को किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर देखा जाए, क्योंकि यह भारत की सांझी विरासत है और इसके लाभ संपूर्ण मानवता के लिए हैं।