
चंडीगढ़/जालंधर: पंजाब कांग्रेस में जारी अंदरूनी खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व हॉकी कप्तान Pargat Singh ने प्रदेश उपाध्यक्ष (Meet Pradhan) पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके साथ कांग्रेस के पूर्व विधायक Kusaldeep Singh Dhillon alias Kikki Dhillon ने भी अपने उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों नेताओं ने अपना इस्तीफा AICC General Secretary (Organisation) KC Venugopal और पंजाब मामलों के प्रभारी Bhupesh Baghel को भेजा है। यह घटनाक्रम लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में मिली हार के बाद सामने आया है।
Ludhiana By-election की हार के बाद बढ़ी नाराजगी, Raja Warring पर निशाना
इन इस्तीफों को Bharti Bhushan Ashu के समर्थन में उठाया गया कदम माना जा रहा है। उपचुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए पहले ही आशु ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इशारों में ही सही, लेकिन पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष Amrinder Singh Raja Warring और उनके सहयोगी Simarjeet Singh Bains पर अप्रत्यक्ष तौर पर नाराजगी जाहिर की थी।
अब परगट और ढिल्लों के इस्तीफों से यह संकेत मिल रहे हैं कि पंजाब कांग्रेस में भीतर ही भीतर असंतोष की लहर फैल रही है, जो आने वाले समय में पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है।
Congress High Command तक पहुंची दरार, हो सकता है बड़ा फैसला
यह 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार है जब पार्टी के भीतर इस स्तर पर मतभेद खुले तौर पर सामने आए हैं। ऐसे में यह संभावना है कि Congress High Command जल्द ही पंजाब भेजे जाने वाले पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर सकता है ताकि स्थिति को संभाला जा सके।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अंदरूनी कलह को अब नहीं रोका गया, तो 2027 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
गुटबाज़ी और कमजोर प्रचार बने हार की वजह
उपचुनाव में मिली हार का एक बड़ा कारण पार्टी के भीतर मौजूद गुटबाज़ी रही। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष Raja Warring नामांकन दाखिल करने तो पहुंचे लेकिन बाद में प्रचार से दूरी बना ली। उनके सहयोगी Simarjeet Bains और वरिष्ठ नेता Partap Singh Bajwa भी प्रचार में नहीं दिखे।
इसके अलावा Sanjay Talwar जैसे वरिष्ठ नेता भी पूरी तरह निष्क्रिय रहे। स्थानीय कार्यकर्ता और लीडरशिप ने न प्रचार में रुचि ली और न ही मतदाताओं को उत्साहित करने की कोशिश की। नतीजतन सिर्फ 51.3% मतदान हुआ और कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
Congress की गिरती ताकत, गुटबाज़ी बनी चुनौती
पंजाब में कांग्रेस कभी मजबूत स्थिति में थी, लेकिन 2022 के चुनाव में महज़ 18 सीटों पर सिमटकर रह गई। तब से लेकर अब तक पार्टी में असंतोष, गुटबाज़ी और असमर्थ नेतृत्व लगातार सामने आता रहा है। ऐसे में लुधियाना उपचुनाव की हार ने कांग्रेस के अंदर मौजूद अंतर्विरोध को और गहरा कर दिया है।
अगर हाईकमान ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो पंजाब में कांग्रेस का पुनरुद्धार मुश्किल हो सकता है।