
झज्जर (हरियाणा) – हरियाणा के झज्जर जिले से एक चौंकाने वाली और दुखद खबर सामने आई है, जहां गांव धांधलान के सरपंच कृष्ण कुमार ने कथित तौर पर ज़हरीला पदार्थ निगलकर आत्महत्या कर ली। यह घटना रविवार दोपहर की बताई जा रही है, जब वे अपने खेतों की तरफ गए थे और वहीं उन्होंने जहर खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
📍 घटना की सूचना राहगीर ने दी
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सरपंच कृष्ण कुमार अपने खेत में अकेले गए थे। कुछ समय बाद खेत के पास से गुजर रहे एक राहगीर ने उन्हें बेहोशी की हालत में देखा। उस व्यक्ति ने तुरंत पुलिस और परिजनों को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस टीम और FSL (Forensic Science Lab) ने घटनास्थल की जांच शुरू की।
शव को कब्जे में लेकर झज्जर के नागरिक अस्पताल (Civil Hospital) भेज दिया गया है, जहां पोस्टमॉर्टम के बाद ही आत्महत्या के कारणों की पुष्टि हो सकेगी।
👨👩👧👦 परिवार ने नहीं लगाए कोई आरोप
अब तक परिजनों की ओर से किसी भी व्यक्ति पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। हालांकि सरपंच की आत्महत्या ने पूरे गांव और प्रशासनिक तंत्र को हिला दिया है। क्षेत्र में शोक और स्तब्धता का माहौल है।
पुलिस का कहना है कि अभी मामले की जांच जारी है, और हर पहलू को ध्यान में रखते हुए आत्महत्या के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
🧾 सरपंच कृष्ण कुमार का सामाजिक और राजनीतिक योगदान
कृष्ण कुमार, धांधलान गांव के चुने हुए सरपंच थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, वे एक जनप्रिय और सक्रिय पंचायत प्रतिनिधि माने जाते थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में गांव में कई विकास कार्य करवाए थे, जिनमें सड़कों की मरम्मत, जल निकासी व्यवस्था और पंचायत भवन का जीर्णोद्धार शामिल था।
उनकी इस तरह की असामयिक और आत्मघाती मृत्यु ने सभी को हैरानी में डाल दिया है।
🔍 Police Investigation: हर पहलू की हो रही जांच
झज्जर पुलिस ने इस मामले में Section 174 CrPC के तहत केस दर्ज कर लिया है। FSL टीम ने घटनास्थल से ज़हरीले पदार्थ के अवशेष, मोबाइल फोन और सरपंच की जेब में मिले कुछ दस्तावेजों को जब्त कर लिया है।
पुलिस जांच अधिकारी का कहना है कि, “फिलहाल मामला आत्महत्या का प्रतीत होता है लेकिन हम पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक सभी कारणों की गहराई से जांच कर रहे हैं।”
📉 गांव में मातम, प्रशासनिक प्रतिक्रिया का इंतजार
इस घटना के बाद धांधलान गांव में शोक की लहर फैल गई है। कई ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच किसी तनाव में नहीं लगते थे, लेकिन बीते कुछ समय से वे शांत रहते थे।
प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि पुलिस और जिला प्रशासन इस घटना की जांच को गंभीरता से आगे बढ़ाएगा।
❗ जागरूकता की आवश्यकता: Panchayat Representatives और मानसिक तनाव
यह घटना एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करती है कि गांवों में चुने हुए जनप्रतिनिधियों (Sarpanches) पर काम का, जन अपेक्षाओं का और सामाजिक दबाव का कितना असर पड़ता है। आज के समय में, मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर विषय बनता जा रहा है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो Public Leadership Roles में होते हैं।
जरूरी है कि पंचायत प्रतिनिधियों को नियमित काउंसलिंग, प्रशिक्षण और प्रशासनिक सहयोग दिया जाए ताकि वे अपने कार्यों को मानसिक रूप से संतुलित रहकर कर सकें।