
Punjab विधानसभा के विशेष सत्र में पेश होगा कड़ा Bill, Opposition ने कहा – संविधान की मर्यादा का उल्लंघन
Chandigarh, 6 जुलाई 2025 – पंजाब सरकार ने राज्य में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी (sacrilege) को रोकने के लिए एक नया और बेहद सख्त कानून लाने की तैयारी कर ली है। Chief Minister Bhagwant Singh Mann की अगुवाई वाली Aam Aadmi Party (AAP) सरकार आगामी 10 और 11 जुलाई को बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र में एक Bill पेश करेगी, जिसमें Religious Texts के अपमान के मामलों में Death Penalty (मृत्युदंड) तक की सजा का प्रावधान होगा।
यह प्रस्ताव ऐसे समय पर सामने आया है जब राज्य में हाल ही में Beadbi incidents में वृद्धि देखी गई है और समाज में रोष का माहौल है। सरकार का कहना है कि यह कानून धार्मिक सौहार्द बनाए रखने और दोषियों को सख्त संदेश देने के लिए आवश्यक है।
क्या कहती है सरकार?
Punjab Cabinet की हाल ही में हुई बैठक में इस प्रस्तावित कानून को लेकर चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार, Bhagwant Mann ने इसे “राज्य की आस्था और कानून व्यवस्था की रक्षा के लिए ज़रूरी” कदम बताया है। सरकार के अनुसार यह कानून सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथों जैसे Guru Granth Sahib, Bhagavad Gita, Quran, Bible आदि पर समान रूप से लागू होगा।
Punjab के Cabinet Minister Harpal Singh Cheema ने कहा,
“हम धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को अब सिर्फ एक भावनात्मक मुद्दा नहीं, बल्कि गंभीर अपराध मानते हैं। राज्य सरकार इस विषय पर कोई ढील नहीं देगी।”
विपक्ष की आपत्ति
हालांकि, इस प्रस्ताव पर Opposition Parties ने कड़ी आपत्ति जताई है। Shiromani Akali Dal (SAD) और Indian National Congress (INC) के नेताओं ने इसे “लोकतंत्र और संविधान की आत्मा के खिलाफ़” करार दिया है।
Leader of Opposition, Partap Singh Bajwa ने कहा,
“कोई भी कानून जो धार्मिक भावना की आड़ में मौलिक अधिकारों और न्यायिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है, उसे हम समर्थन नहीं दे सकते।”
SAD की नेता Harsimrat Kaur Badal ने आरोप लगाया कि AAP सरकार यह कानून लाकर धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक उपयोग कर रही है।
विधेयक का संभावित प्रारूप
इस नए Sacrilege Law के तहत यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी धार्मिक ग्रंथ का अपमान करता है, उसे न्यूनतम 10 वर्ष की सजा से लेकर Death Penalty तक दी जा सकती है। अपराध को non-bailable और cognizable offence माना जाएगा।
इससे पहले 2018 में Captain Amarinder Singh सरकार ने भी ऐसा ही एक बिल पास किया था लेकिन उसे President of India की मंज़ूरी नहीं मिली थी।
संवैधानिक सवाल
कानून विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रस्ताव पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस तरह के कानून Indian Constitution के तहत Freedom of Speech और Due Process of Law के सिद्धांतों का उल्लंघन कर सकते हैं।
Supreme Court advocate Karuna Nundy के अनुसार,
“किसी भी धार्मिक अपराध को सज़ा देना ज़रूरी हो सकता है, लेकिन Death Penalty जैसे प्रावधान राज्य की ताकत का दुरुपयोग बन सकते हैं। इसका दुरुपयोग अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ हो सकता है।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
Punjab जैसे धार्मिक रूप से संवेदनशील राज्य में इस क़ानून का सामाजिक और राजनीतिक असर गहरा हो सकता है। AAP सरकार का दावा है कि वह धार्मिक समरसता बनाए रखने के लिए कटिबद्ध है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर समाज और राजनीति में ध्रुवीकरण के संकेत पहले से दिखने लगे हैं।
राज्य के कई Sikh Organizations ने कानून का समर्थन किया है और इसे “धरम दी जीत” बताया है, वहीं कई civil liberties groups ने इसे “भारत में धार्मिक कानून के खतरे” के रूप में देखा है।
निष्कर्ष
Bhagwant Mann सरकार का प्रस्तावित Beadbi कानून पंजाब की राजनीतिक और सामाजिक दिशा में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह बिल विधानसभा में पास होता है, और यदि हां, तो क्या यह Union Government और President of India से मंजूरी प्राप्त कर पाएगा। साथ ही, इसके लागू होने के बाद कानून का व्यवहारिक पक्ष और न्यायिक कसौटी पर इसकी वैधता कितनी ठहरती है, यह आने वाला समय ही बताएगा।