हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में शनिवार दोपहर हुए भीषण भूस्खलन के चलते चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-3) का एक हिस्सा पूरी तरह बंद हो गया है। चार मील के पास मंडी-पंडोह मार्ग पर भूस्खलन की यह घटना दोपहर करीब 1:30 बजे हुई, जिसके बाद से 20 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन हजारों लोग अब भी हाईवे पर फंसे हुए हैं।
घटना के बाद से प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है, लेकिन लगातार गिरते पत्थरों और मलबे के चलते मार्ग को खोलने का काम समय से शुरू नहीं हो सका। इस दौरान हाईवे के दोनों ओर सैकड़ों वाहन फंसे रह गए — जिनमें निजी वाहन, पर्यटक गाड़ियाँ, मालवाहक ट्रक और बसें शामिल हैं। खासकर फल-सब्जी से लदे ट्रक चालकों की हालत बेहद खराब हो चुकी है, क्योंकि न केवल वे खुद भूखे-प्यासे हैं, बल्कि उनकी गाड़ियों में रखा माल भी खराब होने की कगार पर है।
भूखे-प्यासे फंसे लोग, टेंशन में सब्जी व्यापारी
हाईवे पर फंसे लोगों में सबसे ज्यादा परेशानी उन ट्रक चालकों को हो रही है जो तांदी और केलंग से सब्जियां और फल लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। पंजाब के गुरमीत सिंह, हरियाणा के काला और जम्मू के जहांगीर जैसे कई चालकों ने बताया कि वे पहले भी औट टनल के पास 10 घंटे तक फंसे रहे, और अब पिछले 21 घंटों से पंडोह के चार मील इलाके में भूखे-प्यासे खड़े हैं।
इन चालकों का कहना है कि गर्मी और उमस के कारण गाड़ियों में भरी सब्जियां तेजी से सड़ने लगी हैं। अगर ये समय पर मंडियों में नहीं पहुंचतीं, तो उन्हें न तो माल का पूरा किराया मिलता है और न ही व्यापारी उन्हें किसी तरह की राहत देता है। इससे हजारों रुपये का नुकसान झेलने की नौबत आ गई है।
“हमसे कहा गया था कि रास्ता खुल जाएगा, लेकिन अब 20 घंटे से ज्यादा हो गए हैं। न कोई मदद मिली है, न खाना-पानी। सब्जी सड़ रही है, और हम नुकसान की चिंता में बैठे हैं,” – गुरमीत सिंह, ट्रक चालक
प्रशासन ने शुरू की राहत प्रक्रिया, लेकिन जोखिम अब भी बरकरार
घटना के बाद स्थानीय पुलिस चौकी प्रभारी अनिल कटौच ने जानकारी दी कि रविवार सुबह 8 बजे से मार्ग को साफ करने का काम शुरू कर दिया गया है, और दोपहर तक रास्ता खोलने की उम्मीद जताई गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि शनिवार को लगातार पत्थर गिरते रहे, जिससे सुरक्षा कारणों के चलते कोई कार्रवाई संभव नहीं थी।
प्रशासन ने छोटे वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से निकालना शुरू कर दिया है, लेकिन बस, ट्रक, जीप जैसे बड़े वाहन अब भी रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे हैं। राहत कर्मियों और मशीनों को मौके पर भेजा गया है, लेकिन कई किलोमीटर तक फैले मलबे को हटाने में समय लग रहा है।
भूस्खलन से बना जाम, पर्यटकों और स्थानीयों की परेशानी
मनाली की ओर जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग सिर्फ एक व्यापारिक मार्ग नहीं है, बल्कि यह देश के सबसे लोकप्रिय पर्यटक मार्गों में से एक है। इस मार्ग पर आमतौर पर बड़ी संख्या में दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा से सैलानी मनाली की ओर आते हैं। लैंडस्लाइड की वजह से फंसे पर्यटक न तो आगे बढ़ पा रहे हैं, न ही लौट पा रहे हैं।
इस बीच, रास्ते में शौचालय, पेयजल या ठहरने की कोई सुविधा नहीं होने के कारण महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कई यात्रियों ने प्रशासन को कोसा और कहा कि उन्हें भविष्य में मौसम अलर्ट और जोखिम भरे क्षेत्रों की सूचना समय से क्यों नहीं दी गई।
जल्द बहाली की मांग, प्रशासन पर दबाव
भूस्खलन के बाद बढ़ती पीड़ा को देखते हुए लोगों ने प्रशासन से तत्काल हाईवे बहाल करने की अपील की है। सोशल मीडिया पर भी “Mandi Landslide”, “NH-3 Blocked” जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे हैं, जिसमें लोग अपनी परेशानी साझा कर रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन पर दबाव लगातार बढ़ रहा है कि वह न केवल मलबा हटाकर रास्ता बहाल करे, बल्कि फंसे लोगों तक खाद्य सामग्री, जल, दवाएं और सुरक्षा भी सुनिश्चित करे।
भविष्य के लिए सबक: मानसून में हाईवे की निगरानी जरूरी
हिमाचल प्रदेश में मानसून हर वर्ष इस तरह की घटनाओं को जन्म देता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एनएच-3 का मंडी-पंडोह हिस्सा भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में आता है और इस हिस्से में मिट्टी की संरचना कमजोर होने की वजह से बारिश में यह ज़ोन अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है।
अक्सर यह देखा गया है कि राज्य सरकारें सावधानी के संकेत या चेतावनी बोर्ड नहीं लगातीं और ना ही ड्राइवरों या यात्रियों को वक्त रहते सूचना देती हैं। इससे आम नागरिक हर साल इस तरह की आपदा में फंस जाते हैं।