नेशनल डेस्क। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र में संदिग्ध कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच में सामने आया कि जिस कोल्ड्रिफ सिरप का इस्तेमाल हुआ था, उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं थी। इस वजह से कई बच्चों की तबीयत बिगड़ी और कुछ की मौत हो गई।
पुलिस ने फार्मा कंपनी और डॉक्टर पर दर्ज की एफआईआर
इस मामले में पुलिस ने तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित मेसर्स श्रेसन फॉर्मास्युटिकल कंपनी और छिंदवाड़ा के शिशु रोग विशेषज्ञ (बाल रोग विशेषज्ञ) डॉ. प्रवीण सोनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई परासिया के बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) डॉ. अंकित सहलाम की शिकायत पर की गई।
जांच में सिरप की क्वालिटी पर उठे सवाल
स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप की गुणवत्ता संदिग्ध थी। रिपोर्ट में कहा गया कि सिरप में हानिकारक तत्व मौजूद हो सकते हैं, जिससे बच्चों की हालत खराब हुई।
किन धाराओं में मामला दर्ज हुआ
पुलिस ने यह मामला कई गंभीर धाराओं में दर्ज किया है —
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 279 – औषधियों (दवाओं) में गलत या हानिकारक मिश्रण करने का अपराध।
- धारा 105 – आपराधिक मानव वध (किसी की मौत का कारण बनना)।
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 की धारा 27(ए) – खराब या मिलावटी दवा बनाने और बेचने का अपराध।
स्वास्थ्य विभाग की सख्त निगरानी
इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने राज्यभर में कफ सिरप और बच्चों की दवाओं की जांच तेज कर दी है। राज्य सरकार ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप न दी जाए।
आगे क्या होगा?
अब पुलिस और ड्रग विभाग की संयुक्त टीम मामले की विस्तृत जांच कर रही है। सिरप के नमूने लैब में भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। सरकार ने कहा है कि दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।