पंजाब के चर्चित अमरूद बाग घोटाला मामले में एक और आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। हालांकि आरोपी ने विजिलेंस के पास आत्मसमर्पण किया है। अमरूदों के बागों के मुआवजा जारी करने के घोटाले में भगोड़े नायब तहसीलदार जसकरण सिंह बराड़ ने सोमवार को विजिलेंस ब्यूरो के सामने सरेंडर किया है।
137 करोड़ का अमरूद बाग घोटाला मामले में नायब तहसीलदार जसकरण सिंह बराड़ की गिरफ्तारी के बाद अब मामले में कुल 23 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। आरोपी जसकरण सिंह को कोर्ट भगोड़ा घोषित कर चुकी है।
018 में जमीन पट्टे पर ली, पौधे 2016 से लगे दिखाए
यह घोटाला ग्रेटर मोहाली डेवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) के एयरोट्रोपोलिस प्रोजेक्ट की जमीन के अधिग्रहण से जुड़ा है। गमाडा ने लैंड पूलिंग पॉलिसी के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए रेट घोषित किया। जमीन पर लगे अमरूद के पेड़ों की कीमत अलग मुआवजे के तौर पर दी थी। जमीन पर जितने भी फलदार पेड़ थे, उनकी कीमत बागवानी विभाग की तरफ से निर्धारित की गई थी।
गमाडा के अधिकारियों के साथ मिलकर इनकी उम्र 4 से 5 साल दिखाई गई। हाईकोर्ट ने मामले में अलग-अलग दोषी लाभार्थियों को कुल 72.36 करोड़ रुपये की रकम जमा करवाने का आदेश दिया, जिसमें से अब तक 43.72 करोड़ जमा करवाए जा चुके हैं। गमाडा की ओर से अधिग्रहण की जाने वाली जमीन पर नियम से अधिक अमरूद के पौधे लगाए थे।
आरोप है कि जिन लोगों ने जमीन पट्टे पर ली, उन लोगों ने प्रति एकड़ दो से ढाई हजार पेड़ दिखाए। आरोप यह भी है कि इन्होंने 2018 में जमीन पट्टे पर ली थी और तभी वहां अमरूद के पौधे लगाए। अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर रिकॉर्ड में इन पौधों को 2016 से दिखाया गया।
भूमि मालिकों के नाम नहीं खा रहे थे मेल
इसके अलावा, भुगतान जारी करने से पहले रिकॉर्ड में यह बात सामने आई कि कुछ भूमि मालिकों के नाम और हिस्सेदारी रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते थे।
कुछ नाम बिना किसी आधार के गलत तरीके से लाभार्थियों की सूची में शामिल किए गए थे, क्योंकि उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 11 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि खरीदी थी।
उक्त नायब तहसीलदार ने खसरा गिरदावरी रिकॉर्ड, जिसमें छेड़छाड़ की गई थी, को नजरअंदाज करते हुए विवरण वाली फाइल को एक ही दिन में तीन बार निपटाकर भुगतान की सिफारिश करने में अनावश्यक जल्दबाजी की।
बराड़ को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के तहत 11/12/2023 को जांच में शामिल होने के निर्देशों के साथ अंतरिम राहत मिल गई थी। इसके बाद वह जांच में शामिल तो हुए, लेकिन ब्यूरो के साथ कोई सहयोग नहीं किया।
अग्रिम जमानत की खारिज
इसी के चलते विजिलेंस ब्यूरो ने उच्च न्यायालय में उनकी जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया और अंत में उनकी याचिका और जवाब के खिलाफ 2 हलफनामे दाखिल किए।
कई सुनवाईयों और विस्तृत तर्कों के बाद, हाईकोर्ट ने 20/03/2024 को 25 पन्नों के आदेश के साथ उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद जसकरण सिंह बराड़ लगातार फरार रहे और सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए विशेष याचिका दायर की।
इसके बाद 27/8/2024 को इस करोड़ों के घोटाले में आरोपी की भूमिका और विभिन्न तरीकों से अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए कानून प्रक्रिया से बचने के उनके गलत आचरण को सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। आरोपित एक हफ्ते के भीतर विजिलेंस ब्यूरो के जांच अधिकारी के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।