पंजाब में नाक से जुड़ा संक्रमण तेजी से फैल रहा है। संक्रमण की वजह से आंखें, दिमाग, छाती बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है। फंगल साइनसाइटिस नाम का यह संक्रमण पंजाब के उस क्षेत्र के लोगों को संक्रमित कर रहा है, जहां कॉटन की खेती की जा रही है। मुक्तसर, बठिंडा, फाजिल्का, मानसा, फरीदकोट, मोगा, संगरूर जिले के लोग फंगल साइनसाइटिस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद इलाज के लिए अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। फंगल संक्रमण का इलाज नाक के रास्ते दूरबीन की सर्जरी से किया जाता है जबकि मरीज बीमारी की पहचान किए बगैर कैमिस्ट की दुकान से स्टीरायड युक्त दवाएं खाकर बीमारी बिगाड़ रहे हैं। दवाएं कुछ दिनों के लिए संक्रमण को दबा जरूर देती हैं परंतु फंगस शरीर में जम जाती है और फेफड़ों, दिमाग और आंखों को संक्रमित करने के साथ-साथ हड्डियों को खा रही है। पी.जी. आई. के पूर्व ई.एन.टी. विशेषज्ञ और फोर्टिस मोहाली के ई. एन. टी. विभाग के एच.ओ.डी. डा. अशोक गुप्ता का कहना है कि फंगल साइनसाइटिस एक ऐसा संक्रमण है, जो हवा से लोगों को मिल रहा है। नाक के रास्ते फंगस के कीटाणु शरीर में प्रवेश कर कई अंगों को खराब कर रहे हैं। मरीजों की आंखें बाहर की तरफ निकल रही हैं, दिमाग की नसों में – फंगस घुस रहा है और फेफड़ों को भी बीमार कर रहा है। नाक के आसपास और चेहरे पर खाली जगहों को साइनस कहा जाता है। संक्रमित व्यक्ति के साइनस या खाली जगहों में सूजन हो जाने के बाद उसका नाक बंद हो जाता है। सांस लेने में तकलीफ होने लगती है,सिर में दबाव होता है। कई दफा लोग इस संक्रमण को खांसी जुकाम समझ कर खुद ही दवाओं का सेवन कर लेते है जबकि मरीजों को इलाज डॉक्टर से ही करवाना चाहिए।
ये हैं लक्षण
1. नाक बंद रहना
2. सिर में दर्द
3. आंख बाहर की तरफ निकलना
4. दांत जबाड़े में कमजोर होना
5. नसों में समस्या
फंगल साइनसाइटिस बीमारी की पहचान के लिए एंडोस्कोपी, सी. टी. स्कैन से की जाती है जबकि इलाज के लिए नाक के रास्ते दूरबीन की सर्जरी से मरीज को स्वस्थ किया जा सकता है। मरीजों को स्टीरायड युक्त दवाओं के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि ये दवाएं फंगस को शरीर से बाहर नहीं निकाल पातीं और उनकी स्थिति भयावह हो जाती है। एसपेरिगेलस नाम की बीमारी हो जाती है। आंखों में फंगस जाने पर आंखें बाहर तो निकलती ही हैं उनकी रोशनी भी खत्म हो जाती है। इस संक्रमण के 80 प्रतिशत मरीजों का इलाज सर्जरी से हो जाता है। कई मरीज झोलाछाप डाक्टरों के पास पहुंच जाते हैं और अपनी सेहत बिगाड़ लेते हैं। फंगस उनके शरीर से बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है।