
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष कभी भी युद्ध के मैदान में नहीं सुलझ सकता और इसका समाधान तभी होगा जब दोनों पक्ष वार्ता की मेज पर बैठेंगे। अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में मोदी ने स्पष्ट किया कि इस संघर्ष में भारत तटस्थ नहीं है बल्कि शांति के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ अपने अच्छे संबंधों पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि वह रूस से आग्रह कर सकते हैं कि युद्ध समाधान नहीं है और यूक्रेन को याद दिला सकते हैं कि युद्ध के मैदान से कभी समाधान नहीं निकलता। उन्होंने कहा, ‘‘रूस और यूक्रेन के साथ मेरे एक जैसे करीबी संबंध हैं। मैं राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठ सकता हूं और कह सकता हूं कि यह युद्ध का समय नहीं है। और मैं राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को दोस्ताना तरीके से यह भी बता सकता हूं कि भाई, दुनिया में चाहे जितने भी लोग आपके साथ खड़े हों, युद्ध के मैदान में कभी कोई समाधान नहीं निकलेगा।’’
प्रधानमंत्री दो युद्धरत देशों- रूस और यूक्रेन के बीच शांति कायम करने में मदद करने के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘कोई समाधान केवल तभी आएगा जब यूक्रेन और रूस दोनों बातचीत की मेज पर आएंगे। यूक्रेन अपने सहयोगियों के साथ अनगिनत चर्चाएं कर सकता है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं होगा। चर्चा में दोनों पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि शुरुआत में शांति स्थापित करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अब, मौजूदा स्थिति यूक्रेन और रूस के बीच सार्थक और प्रभावी वार्ता का अवसर प्रस्तुत करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत नुकसान हुआ है। यहां तक कि ग्लोबल साउथ को भी नुकसान हुआ है। दुनिया अन्न, ईंधन और खाद के संकट से जूझ रही है। इसलिए, वैश्विक समुदाय को शांति के लिए एकजुट होना चाहिए। जहां तक मेरी बात है, मैंने हमेशा कहा है कि मैं शांति के साथ खड़ा हूं। मैं तटस्थ नहीं हूं। मेरा एक रुख है, और वह शांति है, और मैं शांति के लिये प्रयास करता हूं।’’ प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि भारत, संघर्ष से ऊपर शांति की वकालत करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से हमारी पृष्ठभूमि इतनी मजबूत है कि जब भी हम शांति की बात करते हैं, दुनिया हमें सुनती है, क्योंकि भारत, गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सद्भाव का समर्थन करते हैं .. हम न तो प्रकृति के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते हैं और न ही राष्ट्रों के बीच संघर्ष को बढ़ावा देना चाहते हैं। हम शांति के लिए खड़े हैं और जहां भी हम शांतिदूत के रूप में कार्य कर सकते हैं, हमने खुशी से उस जिम्मेदारी को स्वीकार किया है।’’ मोदी ने यह भी कहा कि कोविड-19 के बाद ऐसा लग रहा था कि दुनिया एक साथ आ जाएगी, लेकिन इसके बजाय यह और अधिक खंडित हो गई, जिससे वैश्विक स्तर पर कई संघर्ष उभर आए। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अप्रासंगिक हो गई हैं और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन आवशय़क सुधार नहीं होने के कारण अपने उद्देशय़ को पूरा करने में विफल हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दुनिया को संघर्ष से दूर रहना चाहिए और समन्वय अपनाना चाहिए।’’ उन्होंने दोहराया कि प्रगति विकास से आएगी न कि विस्तारवाद से। उन्होंने कहा, ‘‘भारत हमेशा से बातचीत और कूटनीति के माध्यम से यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए दबाव डालता रहा है।’’ पिछले साल नौ जुलाई को मॉस्को में पुतिन के साथ अपनी शिखर वार्ता में मोदी ने उनसे कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और बमों तथा गोलियों के बीच शांति प्रयास सफल नहीं होते।